सुखी और लंबी आयु के लिए वैदिक रीति रिवाज से मनाएं जन्मोत्सव - पंडित राहुल दूबे श्री बाबा बटौरा धाम*
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By Admin
Published - 19 May 2025 28 views
स्वतंत्र पत्रकार विजन
संवाददाता रितेश कुमार
*वाराणसी* हर इंसान के लिए उसका जन्मदिन एक विशेष दिन है, इसे उत्सव के रूप में विधि-विधान से मनाना चाहिए। प्राय: जन्मदिन का उत्सव केक काटकर, मोमबत्तियों को बुझाकर, गुब्बारे फोड़कर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जन्मदिवस पर आयु का एक और वर्ष निकल गया है, जो वापस अब कभी नहीं मिलेगा, इसलिए उतनी ही मोमबत्ती जलाकर बुझाई जाती है, लेकिन हिंदू पद्धति में जन्मदिन के सुअवसर पर दीर्घायु की मंगलकामना हेतु दीपक जलाए जाते हैं जन्मोत्सव विधिपूर्वक मनाने से आयु एवं आरोग्य की वृद्धि होती है, जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। जन्मदिन पर दर्शन-पूजा,हवन इत्यादि करने से शांति और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। वैदिक परम्परा के अनुसार जन्मदिन के शुभ अवसर पर दीप जलाने चाहिएं, ताकि आगे का जीवन मंगलमय रहे। जितने वर्ष की आयु पूर्ण हो चुकी हो, उतने ही दीपक भगवान के सामने जलाने चाहिएं, इससे वर्ष भर अनिष्टों से रक्षा होती है। जन्मदिन के दिन जितने वर्ष पूर्ण हो चुके हों, उतनी संख्या में छोटे दीए जलाएं और आने वाले वर्ष की मंगलकामना के लिए एक बड़ा दीपक जलाना चाहिए। जन्मदिन पर थोड़े-से चावल लेकर उन्हें हल्दी, कुमकुम आदि से रंगकर स्वास्तिक बना लें। उस स्वास्तिक पर जन्म वर्ष के अनुसार छोटे-छोटे दीए रख दें और नये वर्ष की शुरुआत के प्रतीक रूप एक बड़ा दीया जलाएं। जन्मदिन पर अवश्य करें ये कार्य अपने से बड़े-बुजुर्गों, माता-पिता, दादा-दादी का शुभाशीष ग्रहण करना सदैव कल्याणकारी होता है।
जन्मोत्सव पर अधिक से अधिक लोगों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए जन्मदिन की प्रात:काल उठकर हाथ-मुंह धोकर एवं नित्यकर्म से निवृत्त होकर सर्वप्रथम अपने इष्टदेव का ध्यान करके मन ही मन प्रणाम करें।
नवीन वस्त्र धारण कर गणेश जी का स्मरण करें, जन्म नक्षत्र के अधिपति का पूजन कल्याणकारी रहता है।
जन्मदिन पर तिल का इस्तेमाल आयु वृद्धि कारक होता है। तिल एवं गंगाजल युक्त जल से स्नान करें, तिल से बनी वस्तुओं का दान तथा भोजन करें। जन्मदिवस पर मंदिर में प्रसाद, अनाथालयों में तथा गरीब जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र इत्यादि भेंट करने से शुभाशीष प्राप्त होता है। जन्मदिन पर सुंदरकांड , हनुमान चालीसा का पाठ पूजन करवाएं, स्वस्तिवाचन आदि वैदिक मंत्रों द्वारा मंगलकामना वर्ष भर अनिष्टों से रक्षा करती है। पूजनादि के पश्चात ब्राह्मण भोजन एवं यथाशक्ति दान करना चाहिए। पूजा से शुभ भाग्य की प्राप्ति होती है।यदि किसी कारणवश जन्मदिन पूजन न करवा सकें, तो किसी भी रूप में पुण्य कार्य अवश्य करें।
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